
__उमा पुपुन
तुम मेरे ख्वाबों को सच करने आए हो हमदम,
प्रीत के रंग में रंग गई,देखो निखर गई हूं मैं,
सलोना सा…………….
गंगा यमुना सा पावन प्रेम है हमारा,
तेरे कदमों के धूल को,माथे पे लगाऊं मैं,
सलोना सा……………….
अपने प्रेम का इजहार किया न तुमने अब तक,
अक्सर नाक पे सिंदूर गिरना,
प्रेम तुम्हारा समझ गई हूं मैं,
सलोना सा……………
बांहों में तेरी मिलती है मुझको,जन्नत की खुशियां
भोर होते तेरे चेहरे को देखूं,
और कुछ न चाहूं मैं..
सलोना सा……..
मेरी दुनिया तुमसे रोशन,तुम ही हो मेरे दिल की धड़कन
कोई प्रेम का सुर तुम छेड़ देना,सुंदर सरगम बन जाऊं मैं
सलोना सा…………….
कुछ तो बातें तुममें,सबसे जुदा है,
“शंकर” बन आए तुम,”उमा”तेरी बन गई मैं..
सलोना सा…….
उमा पुपुन
लखनऊ