

सुषमा श्रीवास्तव
बोल सांचे दरबार की जय 🙏🙏
जगत जननि जगदम्बे अम्बे दर्शन दो इक बार भगवति जन की सुनहु पुकार-भगवति जन की सुनहु पुकार
आस लगा कर बड़ी दूर से आई हूँ दरबार, भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
अपरम्पार तुम्हारी माया हम सब पर तुम करना दाया ×2
हे जगदम्बे दुर्गे भवानी होकर सिंह सवार भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
निशि दिन ध्यान धरूं तुमरो मैं
काहु काल न बिसरूं तुमको ×2
लोभ मोह से हमें बचाओ, ओढ़ चुनरिया लाल । भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ,
सब संकट से आन बचाओ 2×
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता,
तुम ही तो हो जग की माता
हे जगदम्बे दुर्गे भवानी जग की पालनहार भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
कामधेनु तुम सुरतरु छाया, निराकार है तुम्हरी माया ×2
द्वार तिहारे भक्त निहारें दे दो दरश का प्यार भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
पुस्तक, पुष्प कमण्डलु माला,शुभ्र वर्ण तनु विशाला ×2
माते!आ जाओ भक्तन द्वार,
भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
हंसारूढ़ सितम्बर धारी,
स्वर्ण कान्ति शुचि गगन बिहारी,×2
होकर हंस सवार कर दो बेड़ा पार
भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
जगत जननि जगदम्बे अम्बे दर्शन दो इक बार भगवति जन की सुनहु पुकार ×2
गीतकार –
उत्तराखंड।
मौलिक रचना
08/04/2020