__अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी‘

रोग तन का बुरा रोग मन का बुरा, काया को कर निरोगी संभल जा जरा ।
कपट मोह माया से तन को भरा, रोगों से तन को जर्जर व्यर्थ ही करा।
स्वास्थ्य सबसे बड़ी पूंजी मानव की है,
स्वास्थ्य से बढ़कर सुख कोई भी है नहीं।
धन-धान्य रिश्ते नाते हों लाखों भरे,
स्वस्थ जीवन नहीं तो कुछ भी नहीं।
रहे हम सभी व्यस्त सेहत हो मस्त,
सूर्य दुनिया में चाहे उदय हो या अस्त।
काया निरोगी हो रहे हम चुस्त-दुरुस्त,
स्वास्थ्य सा धन है ना इसका करें विध्वंस।
कम खाना और पूरा सोना जीवन के आयाम,
योग करे निरोग बनाएं सुंदरता निष्काम।
धन दौलत का सुख भी भोगता स्वस्थ शरीर,
‘अलका’ के इस तन में सेहत ही धन है महान।
अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
लखनऊ उत्तर प्रदेश।