__कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

हजारों भूख से मरते हुओ को देख कर हमने
सिंहासन की प्रशंसा में रंगा अखबार देखा है।।
गरीब भटकता रहता है अक्सर इंसाफ को
सिंहासन को हमने सुलगते लाचार देखा है।।
भूख से मरते हुए हमने बच्चो को देखा है
हजारों में हमने निभाते किरदार देखा है।।
होती है इंसानियत शर्मसार इस दुनिया में
भूख से तड़फते बच्चो को लाचार देखा है।।
तड़फते हुए इंसा को हमने मरते हुए देखा
जुल्म की इंतहा को करते आर पार देखा है।।
कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
हमने 9 किताब लिखी है।
अभी बाल कहानियों का लेखन जारी है।
हिंदी एवं अंग्रेजी में लेखन जारी है।