
हमें छोड़कर यूँ न जाओ हुजूर ।
जो हुई है खता जरा तो बताओ।।
दिल हमारा यूं न जलाओ हुजूर।
मोहब्बत जो दिल में तो बताओ।।
नजरें तो हमसे भी मिलाओ हुजूर।
जो वादा किया उसको निभाओ।।
कुछ बातें नैनों से भी करो हुजूर।
दिल का आइना हमको दिखाओ।।
हमसे यूं छुपके न जाओ हुजूर।
नैनों ही नैनों में तुम बातें बताओ।।
अपने दिल का हाल बताओ हुजूर।
अपने नैना हमारे नैना से मिलाओ।।
राह में पलकें बिछाए बैठे हैं हुजूर।
खुद से ही नज़रों को मत छुपाओ।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश