बृजकिशोरी त्रिपाठी

कान्हा छोड़ मथुरा गये अक्रु के साथ।
गोकुल को छोड़ चले ग्वाल बाल लिए साथ।
गोपी सब अब सोचती कब आयेगें श्याम।
सालो बिते मथुरा गये मिला न मन को आराम।
दिन बिते रहिया देखत तारा गिनते रात।
मै बिरहन सोचती कब होगी हरि से बात।
हरि अपने आये नही पाती भेजे उधव के साथ।
उधव बोले कान्हा तुम्हे छोड़
गये हारा तेरा विश्वास।
राधा बोली उधव सुनो हार कर जीत गया मेरा प्यार।
दो प्रेमी के बीज में सदा होती है तकरार।
सच्ची प्रेमिका को रहती सदा
प्रेमी का इन्तजार।
दूर होकर भी अमर हो जाता है प्यार।
कहे भानुजा राधा मोहन के प्यार के कौन पा सकता है पार।
श्याम को गोकुल प्रिय याँद आये मैया बाबा का प्यार।
मैया बाबा सुखी रहे मै ऐसा करती उपचार।
सारा मथुरा यश गाये कह कह वसुदेव कुमार।
हम सब जाने श्याम को यसुदा नन्द कुमार।
मथुरा के राजा बने प्रजा कहे
सरकार।
गोपी गोप मैया के है मोहन प्राण आधार।