खुदा ने उसे क्या सोच के बनाया है
चेहरे में नमी होठों पे मुस्कान और उसपे
सुर्ख काले जुल्फों का साया है
जब वो इतराती है तो
दिल बहक सा जाता है
कभी कभी सोचता हूं नजरें ना मिलाऊँ
लेकिन तन्हाई के साए में जब उनके ना होने का एहसास होता है तो दिल ठहर सा जाता है
ऐ खुदा बेशक वो मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं है
फिर भी कोई अगर ये कह दे तो
मेरे जेहन ओ जिगर पे कहर सा ढाता है
सोचता हूं कि कह दूँ दिल की बात उनसे
जब ये सोचता हूं कहीं वो नाराज ना हो जाये
तो कमबख्त दिल मेरा डर सा जाता है!
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