आध्यात्मिककवितासाहित्य
जय श्री राम।

__संगीता श्रीवास्तवा
जन्मे अवध में तारणहार,
जै श्री राम ,जै श्री राम।
कनकभवन में बजे बधाई,
हर्षोल्लास चहुंदिश छाई।
दशरथजी ने धनधान्य लुटाई,
चोथे पन मे अमुल्य निधि पायी,
प्रकटे जीवन के सुख धाम,
जै श्री राम जै श्री राम।
बाल मनोहर छवि निहारें,
तीनों रानियां तन,मन वारे।
प्रमुदित राजा दशरथ विहसत,
घर आंगन प्रभु भागें किलकत
यह सुख मन न समात।
जै श्री राम जै श्री राम।
देवियों को प्रभु से मिलना था,
नगर वधू का वेश धर लिया,
माता कौशल्या प्रभु दुलरावै,
देख देख मन पुलक लुभावै।
नैना निरख रहे अभिराम।
जै श्री राम जै श्री राम।
संगीता श्रीवास्तवा।
वाराणसी यूपी